यह समाज जो कि जात-पात ऊंच-नीच में बढ़ चुका है वह जाना जाता है कई सारी परेशानी जैसे कि भुखमरी धर्म पक्ष भेदभाव स्त्रियों के खिलाफ अत्याचार आदि कई सारी बड़ी-बड़ी समस्याओं के लिए परंतु आज हमेशा आर्टिकल के माध्यम से अकेलेपन की समस्या को विस्तार से आपसे बात करेंगे और जानेंगे इसके क्या मायने हैं Loneliness
हम हमारे देश भारत में यह अभिनय करते रहते हैं कि हमारा परिवार एवं रिश्तेदारों से जुड़ा घनिष्ठ है क्योंकि हमारे पास कई सारे लोग हैं जिसको हम अपनी सोसाइटी ए कम्युनिटी का हिस्सा मानते हैं और हम बोलते हैं कि शायद अकेलापन Loneliness हमारे लिए एक महत्वपूर्ण विषय है ही नहीं परंतु असल में बात तो यह है कि समय बहुत तेजी से बदल रहा है अगर आपकी आप वाकई में खुली है और आपके दिल में वाकई दर्द है तो आप एक भरी भरी और बड़े शहरों में भी अपने आप को अकेला पा सकते हैं अब भीड़ में भी अकेले हो सकते हैं
आपको बूढ़े लोगों की आंखों में हुए अकेलापन Loneliness देखेगा और जब उनकी मुस्कुराहट आती है उनके बजने से उसमें भी आपको अकेलापन दिखेगा जब मां-बाप बच्चों से दूरदराज के इलाकों में अकेले रहते हैं तब उनको पता चलता है कि अकेलापन क्या है अकेलापन Loneliness क्या नतीजा है अपने बच्चों को तरक्की के रास्ते पर भेज आज भी लोग परेशान है क्या यह तरक्की वाकई में योग्य थी यह झूठी तरक्की थी हाल ही में हुई पर्यावरण रिसर्च ने यह बताया कि 20 परसेंट भारतीय अपने आप को अकेला मानते हैं जिसमें से 14% को यह लगता है कि मैं भयंकर तो अकेले हैं
किसी को एक साइकोलॉजिस्ट यानी मनोचिकित्सक होने की जरूरत नहीं है समझने के लिए कि अकेलापन Loneliness क्यों किसी इंसान के लिए बुरा हो सकता है सामाजिक दृष्टिकोण से सामाजिक जानवर जिसको हम इंसान बुलाते हैं उसके लिए कितना जरूरी है यह हम सबको ही पता है ऐसे में धीरे-धीरे मोबाइल और तकनीक के साथ-साथ हम लोगों का आपस में जो जुड़ा खत्म होता जा रहा है उसी से हम यह कह सकते हैं कि हमने भी एक दूसरे को अकेला कर दिया
हम लोगों ने अपने लालच एवं थूकने के भाव को लेकर अपना ही सत्यानाश किया है अब इसको ना तो हमारी डेटिंग की वेबसाइट नहीं हमारा फास्ट फूड और ना ही हमारा मोबाइल फोन कम कर पाए और इस समय को बचाने का जो अजीब सा कीड़ा दिमाग में बैठ चुका है यह कीड़ा ही हम लोगों को ना सिर्फ अकेला Loneliness बल्कि अधूरा भी रखें सोचिए अगर किसी की किसी से भी रिश्ता ही खत्म हो जाए सोचिए अगर हर इंसान दूसरे को फॉलो करें
इंटरनेट को जितना दूर किया है उतना ही पास किया है यह भी अजीब विडंबना है कि जो मेरे को तुरंत ही मिलवा देता है वह दूर कर देता है पता नहीं क्या होगा क्या होगा क्या होगा क्या होगा हम लोगों का . शायद हम भी अकेले Loneliness ही मरेंगे
धन्यवाद